ढलता सूरज और अँधेरी यादें हैं।
जाते जाते वक़्त तो लेंगी यादें हैं।
बाक़ी तसव्वुर मेरे ज़ेहन में पलते हैं,
दिल में तो बस उस लड़की की यादें हैं।
उसकी याद जब आती है थम जाता हूँ,
सोचता हूँ फिर सिग्नल थोड़ी, यादें हैं।
दुनिया तो इक ज़हर के प्याले जैसी है,
शुक्र है मुझ में ही कुछ मीठी यादें हैं।
जल जाते हैं हिज्र में हल्के लम्हे तो,
बच जाती बस भारी-भारी यादें हैं।
मिलना-विलना, दिल का लगाना पहले है,
आख़िर में तो सिर्फ़ उसी की यादें हैं।
मेरे हर इक शेर का मर्कज़ जानते हो!
वो जो उसकी बिखरी-बिखरी यादें हैं।
मयख़ाने में कुछ भी नहीं है मय जैसा,
मुझ में ही कुछ शोख़ गुलाबी यादें हैं।
मेरा पहला इश्क़ उसी की 'रौनक़' थी,
पहले सफ़हे पर बस उसकी यादें हैं।
- 'रोहित-रौनक़'
जाते जाते वक़्त तो लेंगी यादें हैं।
बाक़ी तसव्वुर मेरे ज़ेहन में पलते हैं,
दिल में तो बस उस लड़की की यादें हैं।
उसकी याद जब आती है थम जाता हूँ,
सोचता हूँ फिर सिग्नल थोड़ी, यादें हैं।
दुनिया तो इक ज़हर के प्याले जैसी है,
शुक्र है मुझ में ही कुछ मीठी यादें हैं।
जल जाते हैं हिज्र में हल्के लम्हे तो,
बच जाती बस भारी-भारी यादें हैं।
मिलना-विलना, दिल का लगाना पहले है,
आख़िर में तो सिर्फ़ उसी की यादें हैं।
मेरे हर इक शेर का मर्कज़ जानते हो!
वो जो उसकी बिखरी-बिखरी यादें हैं।
मयख़ाने में कुछ भी नहीं है मय जैसा,
मुझ में ही कुछ शोख़ गुलाबी यादें हैं।
मेरा पहला इश्क़ उसी की 'रौनक़' थी,
पहले सफ़हे पर बस उसकी यादें हैं।
- 'रोहित-रौनक़'
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