मैं फ़सानो में दर्ज हो जाता।
तो किताबों में दर्ज हो जाता।
मुझसे तो था निज़ाम-ए-नौ बनना,
क्यों रवाजों में दर्ज हो जाता।
शिद्दत-ए-प्यास गर मुक़द्दर थी,
मैं सराबों में दर्ज हो जाता।
गर निकलता सुकूत-ए-ज़ेहन से मै,
दिल के नालों में दर्ज हो जाता।
दर्द से राबिता न होता तो,
वाहवाहों में दर्ज हो जाता।
काश इक दिन मेरा मुक़दमा भी,
तेरी बाहों में दर्ज हो जाता।
- 'रोहित-रौनक़'
तो किताबों में दर्ज हो जाता।
मुझसे तो था निज़ाम-ए-नौ बनना,
क्यों रवाजों में दर्ज हो जाता।
शिद्दत-ए-प्यास गर मुक़द्दर थी,
मैं सराबों में दर्ज हो जाता।
गर निकलता सुकूत-ए-ज़ेहन से मै,
दिल के नालों में दर्ज हो जाता।
दर्द से राबिता न होता तो,
वाहवाहों में दर्ज हो जाता।
काश इक दिन मेरा मुक़दमा भी,
तेरी बाहों में दर्ज हो जाता।
- 'रोहित-रौनक़'
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