तेरी चाहत में ख़ुद को यूँ अकेला कर लिया मैने।
कि ज्यूँ अकसीर से ख़ुद का मुदावा कर लिया मैने।
गली में उसकी मेरा भी ठिकाना कर लिया मैने।
ज़मीं पर रहके जन्नत का नज़ारा कर लिया मैने।
दिया जो जल रहा था साथ मेरे उस को राहत दी,
शब-ए-फ़ुरक़त को थोड़ा और तन्हा कर लिया मैने।
तेरी ख़ुशियों के सारे ही समुंदर डूब जाएंगे,
ग़म-ए-दिल को अगर दरिया से सहरा कर लिया मैने।
मुझे ख़ाहिश नहीं है अब कोई भी हक़ बयानी की,
तुम्हारी झूटी बातों पर भरोसा कर लिया मैने।
नफ़ासत साथ है मेरे क़दामत की बदौलत ही,
बुज़ुर्गों की नसीहत को यकीता कर लिया मैने।
मुझे मालूम था अंजाम उल्फ़त का मगर 'रोहित',
दिल-ए-सरशार को अपने शिकस्ता कर लिया मैने।
©रोहिताश्व मिश्रा
कि ज्यूँ अकसीर से ख़ुद का मुदावा कर लिया मैने।
गली में उसकी मेरा भी ठिकाना कर लिया मैने।
ज़मीं पर रहके जन्नत का नज़ारा कर लिया मैने।
दिया जो जल रहा था साथ मेरे उस को राहत दी,
शब-ए-फ़ुरक़त को थोड़ा और तन्हा कर लिया मैने।
तेरी ख़ुशियों के सारे ही समुंदर डूब जाएंगे,
ग़म-ए-दिल को अगर दरिया से सहरा कर लिया मैने।
मुझे ख़ाहिश नहीं है अब कोई भी हक़ बयानी की,
तुम्हारी झूटी बातों पर भरोसा कर लिया मैने।
नफ़ासत साथ है मेरे क़दामत की बदौलत ही,
बुज़ुर्गों की नसीहत को यकीता कर लिया मैने।
मुझे मालूम था अंजाम उल्फ़त का मगर 'रोहित',
दिल-ए-सरशार को अपने शिकस्ता कर लिया मैने।
©रोहिताश्व मिश्रा
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