आज तक था मैं काफ़िलों के साथ।
अब चलूँगा में रास्तों के साथ।
लोग आए हैं कार्डों के साथ।
और मैं आया गुल्लकों के साथ।
चाहता है वो आग जल जाए,
चंद गीली सी लकड़ियों के साथ।
हम ने परवाज़ और ऊँची भरी,
जब वो आये हिदायतों के साथ।
हम भी जाएंगे आसमां छूने,
छोटे छोटे से इन परों के साथ।
उस ने "रोहित" से जंग ठानी है,
और आया है जुगनुओं के साथ।
- रोहिताश्व मिश्रा
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